हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِن يَنصُرْكُمُ اللَّهُ فَلَا غَالِبَ لَكُمْ وَإِن يَخْذُلْكُمْ فَمَن ذَا الَّذِي يَنصُرُكُم مِّن بَعْدِهِ وَعَلَى اللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُونَ इन यनसोरोकोमुल्लाहो फ़ला ग़ालेबा लकुम व इन यख़ज़ुलकुम फमन ज़ल्लज़ी यनसोरोकुम मिन बादेही वअलल्लाहे फ़ल यतावक्कलिल मोमेनीना (आले-इमरान, 160)
अनुवाद: यदि अल्लाह तुम्हारी सहायता करे। अतः कोई तुम पर वश नहीं चल सकता और यदि वह तुम्हें छोड़ देगा (मदद नहीं करेगा) तो उसके बाद कौन है जो तुम्हारी मदद करेगा और ईमानवालों को चाहिए कि वे केवल अल्लाह पर भरोसा रखें।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣यदि ईश्वर किसी समूह को अपमानित कर दे तो किसी में उसकी सहायता करने का साहस नहीं होता।
2️⃣ केवल अल्लाह तआला के पास ही ब्रह्मांड पर अधिकार है और सभी कारक और शक्तियां उसकी शक्ति के अधीन हैं।
3️⃣ जीत और हार का संबंध केवल ईश्वर की इच्छा और शक्ति से है।
4️⃣ विश्वासियों को केवल ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, ईश्वर पर भरोसा, शत्रुओं पर विजय और ईश्वर की सहायता और समर्थन ही अंतिम आधार है।
5️⃣ अल्लाह तआला पर भरोसा रखने में ओहोद के सेनानियों के आलस्य के कारण उन्हें ईश्वर की सहायता से वंचित होना पड़ा और इस युद्ध में उनकी हार हुई।
6️⃣ ईश्वर पर भरोसा करना आस्थावानों के लक्षणों में से एक है।
7️⃣गैर-देवताओं पर भरोसा करना मानव समाज के अपमान और अपमान का कारण है
8️⃣ ईश्वर का अपने सेवक और पाप के बीच हस्तक्षेप न करना और उसे अकेला छोड़ देना दैवी अपमान (ईश्वर का अपमान) है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान